सीलिंग फैन वाइंडिंग करना सीखे


सीलिंग फैन अलग अलग प्रकार के होते है 

यह बात ध्यान देने वाली है कीजिए वाइंडिंग मशीन से वाइंड करने वाला है जैसे कि सीलिंग फैन वाइंडिंग मशीन ये मोटर को रिवाइंड करते समय यूज नहीं करना है यह वाइंडिंग डाटा सिर्फ और सिर्फ सीलिंग फैन वाइंडिंग में यूज करना है 

12 खाने वाला सीलिंग फैन इसलिए ज्यादा बनाया जाता हैै  क्योंकि यह हाई स्पाइड सीलिंग फैन होता है इस को माइंड करना बहुत ही आसान होता है 14 खाने वाला सीलिंग फैन से इसमें मोटर वाइंडिंग तार भी कम डाली जाती है 16 खाने वाला  सीलिंग फैन तार का थोड़ा बहुत ही अंतर होता हैै 14 खाने वाला पंखे में तार भी इस के आसपास ही रहता है  जब कि 14 खाने सीलिंग फैन से हमेशा पतला ही होता है और 12 खाने वाले पंखे को वाइंडिंग करने में टाईम भी कम लगता है

सीलिंग फैन कि वाइंडिंग करना बहुत ही आसान है 14 स्लॉट सीलिंग फैन कि वाइंडिंग करना बहुत ही अलग होती हैै और 12 स्लॉट सीलिंग फैन कि वाइंडिंग करना बहुत ही अलग होती हैै 16 स्लॉट सीलिंग फैन कि वाइंडिंग अलग होती है 16 स्लॉट सीलिंग फैन एक स्लो स्पीड सीलिंग फैन होता हैै 14 स्लॉट का सीलिंग फैन एक मीडिया फैन होता है 12 स्लॉट का सीलिंग फैन हाई स्पीड फैन होता है 

 कितने स्लॉट होते है 

जैसे :- 12+12 / 14+14 / 16+16 /

 स्लोट :- 12+12 की स्लॉट  मोटर 

सीलिंग फैन के अलग अलग भाग होते है   

1:- रोटर

2:- स्टेटर 

ये दो भाग सीलिंग फैन के माध्यम भाग होते है इन दोनों भागो के अनुसार कार्य किया जाता हैै 

रोटर क्या होता है रोटर एक सीलिंग फैन का बो भाग होता है जो कि बीच में होता है उसे रोटर कहते है इस के माध्यम से घूमता है स्टेटर के बिच के भाग में इस का उपयोग लिया जाता है जिस कि मदद से स्टेटर को घुमाया जाता है 

स्टेटर क्या होता है स्टेटर का बहा भाग होता है जो कि गोल है जिस में हम वाइंडिंग  करते  है जो कि  हर एक प्रकार कि होती है जिसे के ऊपरी भाग के  रूंड के गोले कटे होते है उसे हम सलाट कहते है जिस में बायदिंग होती है सलाट के जितने भाग होते है सब एक जैसे होते है एक सलाट से दूसरे सलाट कि बिच कि दूरी वाला भाग को पिच कहते है  

बायदिंग में प्रयोग में आने वाली सामग्री :- 

स्टेटर में दो भागो से वाइंडिंग कि जाती है जो की दो वाइंडिंग अलग अलग तरीके से कि जाती है स्टेटर के ऊपरी भाग को रनिंग  कहते है और नीचे बाले भाग को हम स्टार्टिंग कहते है इन दो में भागो में वाइंडिंग टर्न कि मात्रा कम जदा होती है

                         Running coil

रनिंग वाइंडिंग       

  सलाट _12 

  p.v.c पेपर  7 नo 

 तार  35  नo

   टर्न _ 390

   स्लीव _ 37 न

  पिच  _ 1 से 2

  R P M _1400 / 1700

                      Starting coil

स्टार्टिंग वाइंडिंग

सलाट _ 12

p.v.c पेपर  7 नo

तार  35  नo

टर्न _ 380

स्लीव _ 37 न

पिच  _ 1 से 2

 R P M _1400 / 1700

केपेसीटर _ 2.50

Running coil रनिंग वाइंडिंग

1 :- सलाट क्या होती है सलाट जो कि एक स्टेटर में जो कटा हूं जो भाग होता है उसे सलाट कहते है जिस की अलग अलग भाग में कटा होता है 

 2 :- p.v.c पेपर  7 नo का होता फैन में लगाया जाता है जो कि स्टेटर लोहे का होता है इस कारण pvc पेपर लगा कर  वाइंडिंग करते है ये पेपर उस काम में लिया जाता है जो कि 7 नo का होता है

 3 :- तार 35 नo  का होता है ये तार वाइंडिंग करने में लिया जाता है जो कि pvc पेपर लगाया जाता है उस के ऊपर तार की वाइंडिंग की जाती है 

4 :- टर्न क्या होते है जो कि सलाट में pvc पेपर की मदद से 35 नo  का तार लगाया जाता है जो कि 390 टर्न डाले जाते है जो कि अलग अलग तरीके से डाले जाते है सभी एक से नहीं डाले जाते है एक टर्न 390 का सीधे हाथ से सलाट में रूंड किया जाता है और दूसरे में उल्टे हाथ से रुंड किया जाता है इस प्रकार टर्न डाले जाते है 

 5 :- स्लीव _ 37 नo का होता है जो कि मदद से वायरिंग कि जाती है 

 6 :- पिच  1 से 2 ये सलाट की बीच का भाग को पिच कहते है 

                          Starting coil

स्टार्टिंग वाइंडिंग

1 :- सलाट क्या होती है सलाट 12 की होती है  कि एक स्टेटर में जो कटा हूं जो भाग होता है उसे सलाट कहते है जिस की अलग अलग भाग में कटा होता है 

 2 :- p.v.c पेपर  7 नo का होता फैन में लगाया जाता है जो कि स्टेटर लोहे का होता है इस कारण pvc पेपर लगा कर वाइंडिंग करते है ये पेपर उस काम में लिया जाता है जो कि 7 नo का होता है

 3 :- तार 35 नo  का होता है ये तार वाइंडिंग करने में लिया जाता है जो कि pvc पेपर लगाया जाता है उस के ऊपर तार की  वाइंडिंग की जाती है 

4 :- टर्न क्या होते है जो कि सलाट में pvc पेपर की मदद से 35 नo  का तार लगाया जाता है जो कि 380 टर्न डाले जाते है जो कि अलग अलग तरीके से डाले जाते है सभी एक से नहीं डाले जाते है एक टर्न 380 का सीधे हाथ से सलाट में रूंड किया जाता है और दूसरे में उल्टे हाथ से रुंड किया जाता है इस प्रकार टर्न डाले जाते है 

 5 :- स्लीव _ 37 नo का होता है जो कि मदद से वायरिंग कि जाती है 

 6 :- पिच  1 से 2 ये सलाट की बीच का भाग को पिच कहते है 

RPM:- Revolution per  minute 

RPM का अर्थ है ‘रोटेशन्स पर मिनट’ जो कि किसी मोटर की स्पीड को व्यक्त करने के लिए इकाई के रूप में काम में लिया जाता है। इसका अर्थ हुआ कि जितना अधिक RPM, उतनी अधिक स्पीड। यानि अधिक RPM वाला पंखा अधिक स्पीड से घूमेगा, लेकिन वो हवा भी अधिक देगा, यह कोई जरूरी नहीं है।

पंखे की एयर डिलिवरी के लिए RPM एक महत्वपूर्ण कारक है परन्तु यह सिर्फ उसके RPM पर ही निर्भर नहीं करती। उसके लिए पंखे का स्वीप साइज़, ब्लेड्स का पिच और आकार, RPM और पंखे का इंस्टॉलेशन कैसे होगा, इन सब बाताें पर ध्यान देना जरूरी है।

परन्तु यह भी ध्यान रखें कि जितना अधिक RPM होगा, बिजली का व्यय भी उतना अधिक होगा। हालाँकि RPM को यानि पंखे की स्पीड को (यानि बिजली के व्यय को) रेग्यूलेटर द्वारा नियंत्रित किया जा सकता है।

फेन बैंडिंग में वार्निश का क्या काम है?

पंखे का बैंडिंग पूरा हो जाने के बाद यदि उसमें सप्लाई दिया जाये तो क्वाइल जल्दी ही गर्म होने लगेगा। इसलिए बैंडिंग पूरा हो जाने के बाद पूरे क्वाइल में वार्निश गिरा दिया जाता है जिससे बाद उसमें ठंडक बना रहता है। वार्निश के इस्तेमाल से क्वाइल आपस में चिपक भी जाता है जिससे वो बिखरने से भी बचा रहता है।

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